गुरुवार, 23 दिसंबर 2010

विवाद में फंस गए पंचायतीराज मंत्री भरतसिंह

संभाग मुख्यालयों पर जिला परिषदों में आईएएस अधिकारियों की तैनाती व ग्राम पंचायतों में निविदा प्रक्रिया पर मुंह खोल कर प्रदेश के पंचायतीराज मंत्री भरतसिंह विवाद में फंस गए हैं। जिला सरपंच संघ ने न केवल उनके बयान का विरोध किया है, अपितु मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के फैसलों पर अगूंली न उठाने का आग्रह करते हुए एक अर्थ में सीधे गहलोत से ही भिड़ा दिया है। बड़े मजे की बात ये है कि भरत सिंह पर निशाना साधने वाले सरपंच संघ के अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह राठौड़ खुद कांग्रेस मानसिकता के हैं। उनके इस बयान को इस अर्थ में भी महत्वपूर्ण माना जा सकता है कि वे प्रदेश के बड़बोले कांग्रेस नेता केकड़ी के विधायक डॉ. रघु शर्मा के भी खासमखास हैं।
दरअसल भरतसिंह ने एक दिन पूर्व ही जो बयान दिया था, वह चंद दिन पहले अजमेर आ कर निर्देश दे गए शिक्षा मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल के सर्वथा विपरीत पड़ रहा था। जनप्रतिनिधियों और सीईओ के बीच अधिकारों को लेकर बनी मंत्रीमंडलीय समिति ने अपनी रिपोर्ट अभी दी ही नहीं है कि मेघवाल ने सीईओ को जनप्रतिनिधियों के दबाव में न आ कर काम करने की हिदायत दे कर ब्यूरोक्रेसी को थपथपी दे दी थी, जबकि भरत सिंह जनप्रतिनिधियों को सर्वाधिक अधिकार संपन्न बता कर सीईओ को हप्प कर गए। दो मंत्रियों के इस प्रकार विरोधाभासी बयान से विवाद तो होना ही था। बस पहल भर का जिम्मा राठौड़ ने ले लिया। इतना ही नहीं उन्होंने भरत सिंह को यह कह कर आइना दिखाने की कोशिश भी की है कि शायद उन्हें मुख्यमंत्री का फैसला रास नहीं आ रहा है। भरत सिंह पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा है कि उनके निविदाओं संबंधी बयान से गांवों में पक्के निर्माण कार्य बंद हो जाएंगे। सीईओ पद पर आईएएस अधिकारी को लगाने का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा है कि इससे विकास के कार्यों में गति आई है। हालांकि अजमेर में जिला प्रमुख पद पर काबिज भाजपा नेता श्रीमती सुशील कंवर पलाड़ा के साथ सीईओ शिल्पा के टकराव मोल लिए जाने के मद्देनजर कांग्रेस मानसिकता के राठौड़ का सीईओ की तरफदारी करना स्वाभाविक सा है, मगर ऐसा करके उन्होंने मंत्री महोदय को भी खूंटी पर टांग दिया है। इससे यह भी उजागर हो गया है कि राठौड़ सीईओ की आड़ में जिला प्रमुख पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं। भरत सिंह के सीईओ शिल्पा को अपनी सीमा में रहने की अपरोक्ष धमकी के मद्देनजर राठौड़ की यह तरफदारी शिल्पा को कुछ राहत देने वाली हो सकती है, मगर इससे यह तो साफ हो ही गया है कि शिल्पा भी विवादग्रस्त होती जा रही हैं। कदाचित यह भी हो सकता है कि राठौड़ ने शिल्पा के कहने अथवा अपने आका रधु शर्मा के इशारे पर ही भरतसिंह पर हमला बोला हो।
बहरहाल, इस केवल जिला प्रमुख व सीईओ तक हुए टकराव के दो मंत्रियों तक में तब्दील होने के बाद के कारण सुरसा के मुंह की तरह लगातार बढ़ते जा रहे इस विवाद का अंत क्या होगा, यह अब दिलचस्प हो गया है। ऐसा लगता है कि पंचायतों को अधिकार संपन्न बनाने की दावा करने वाली सरकार खुद ही इस मुद्दे पर विवाद को बढ़ावा दे रही है, वरना क्या वजह है कि एक ही सरकार के मंत्री आपस में टकरा रहे हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें