गुरुवार, 23 दिसंबर 2010

जोशी का बढ़ा कद, नए समीकरणों के संकेत


दिल्ली के पास बुराड़ी गांव में आयोजित कांगे्रस में राष्ट्रीय अधिवेशन में दूसरे दिन केन्द्रीय मंत्री व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सी. पी. जोशी के हाथों आर्थिक प्रस्ताव रखवाए जाने से जयपुर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खेमे में खलबली मची हुई है। जोशी को इतनी तवज्जो मिलने से स्वाभाविक तौर पर गहलोत लॉबी चिंतित होगी ही। जोशी के दखल की वजह से अब तक नया प्रदेश अध्यक्ष तय न हो पाने व राजनीतिक नियुक्तियां अटकने से गहलोत लॉबी पहले से ही परेशान है। गहलोत चाह कर भी अपने लोगों को लाभ नहीं दे पा रहे। केन्द्र में मंत्री बनाए जाने के बाद भी जोशी की टांग यहां फंसी हुई है। अगर राजनीतिक नियुक्तियों की कवायद की जाती है तो जोशी लॉबी को बड़ी संख्या में पद देने होंगे। इस कारण गहलोत अनुकूल समय का इंतजार कर रहे हैं। सुना यह भी है कि इसी अधिवेशन के दौरान हाईकमान ने उन्हें नियुक्तियों की हरी झंडी दे चुका है और बजट सत्र से पहले ही यह काम निपटाए जाने की संभावना बताई जा रही है। लेकिन जैसे ही मंच से आर्थिक प्रस्ताव पेश करने का जोशी को मौका मिला, गहलोत लॉबी में यह चिंता व्याप्त हो गई है कि गहलोत को नियुक्तियों में फ्री हैंड नहीं मिल पाएगा और जोशी भी अपना हिस्सा हासिल करेंगे।
हालांकि यह दूर की कौड़ी है कि अशोक गहलोत को हटा कर जोशी को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है, मगर सियासी हलकों में इसकी हल्की सुगबुगाहट तो है ही। ऐसा नहीं कहा जा सकता कि गहलोत इतने कमजोर हो गए हैं और उन्हें हटाए जाने की नौबत आ चुकी है, लेकिन कांग्रेस की जैसी कल्चर में उसमें कब क्या हो जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता। शिवचरण माथुर, जगन्नाथ पहाडिय़ा इसके ज्वलंत उदाहरण हैं। विधायकों में उनका इतना वर्चस्व नहीं था कि उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाता, मगर हाईकमान ने उन पर हाथ रख दिया था। खुद गहलोत भी जब मुख्यमंत्री बने थे तो हाईकमान की कृपा से ही बने थे। ऐसे में जोशी कब काबिज हो जाएं, कुछ कह नहीं सकते।
सचिन पायलट का भी नजर आया वर्चस्व
अधिवेशन में राहुल ब्रिगेड की किचन केबिनेट के सदस्य, अजमेर के सांसद व केन्द्रीय संचार राज्य मंत्री सचिन पायलट को बोलने का मौका दिए जाने के भी विशेष अर्थ निकाले जा रहे हैं। हालांकि अभी तो नहीं लगता कि सचिन को यकायक राजस्थान का दायित्व दिया जाएगा, मगर जिस तरह राहुल मजबूत होते जा रहे हैं, सचिन को भावी मुख्यमंत्री के रूप में देखा ही जा सकता है। कल जब राहुल प्रधानमंत्री की कुर्सी के और करीब होंगे, सचिन और पावरफुल हो जाएंगे। सचिन ने जिस तरह सांप्रदायिकता के खिलाफ कंधे से कंधा मिला कर चलने की प्रतिबद्धता जाहिर की, उससे यह साफ है कि वे राहुल के कितने करीब हैं। बहरहाल, सचिन का इस तरह वर्चस्व बढऩा अजमेर वासियों के लिए तो गौरव की बात है।

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