रविवार, 20 फ़रवरी 2011

क्या रघु शर्मा की ट्यूनिंग हो गई है?


पिछले कुछ सालों से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सी. पी. जोशी के खेमे में गिने जाने वाले केकड़ी के कांग्रेस विधायक डा. रघु शर्मा के मिजाज इस बार विधानसभा बजट सत्र के दौरान कुछ बदले-बदले से नजर आ रहे हैं। माजरा जो भी हो, मगर उनके रवैये से तो ऐसा ही लगता है कि उनकी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से ट्यूनिंग हो गई दिखती है।
यूं शुरुआत से वे गहलोत के ही खास शागिर्द हुआ करते थे। मीडिया से लाइजनिंग में भी उनकी अहम भूमिका हुआ करती थी। गहलोत के खासमखास होने के नाते यूएनआई के भूतपूर्व ब्यूरो चीफ स्वर्गीय श्रीप्रकाश शर्मा के यहां तो उनकी रोजाना हाजिरी लगती थी। लेकिन बाद में अज्ञात कारणों से जोशी के पाले में चले जाने के कारण गहलोत से दूरी हो गई। कदाचित इसी वजह से गहलोत ने उन्हें मंत्रीमंडल में शामिल नहीं किया। इस कारण आए दिन मंत्रियों को निशाने पर लेते रहते थे। शुरू से मीडिया कर्मियों के साथ उठने-बैठने के कारण उनके हमले भी काफी तीखे होते थे। कई बार तो ऐसा प्रतीत होता था कि वे सत्तारूढ़ दल के नहीं बल्कि विपक्ष के विधायक हैं। मगर ताजा विधानसभा सत्र के दौरान पहले ही दिन जब भाजपा के कालीचरण सर्राफ ने सरकार को घेरा तो रघु शर्मा बचाव में काफी मुखर हो कर सामने आए। इतना ही नहीं उन्होंने गहलोत की जम कर तारीफ भी की। इस पर सत्ता व विपक्ष के साथ-साथ मीडिया कर्मी भी चकित रह गए।
इसी प्रकार अजमेर उत्तर के भाजपा विधायक प्रो. वासुदेव देवनानी ने जब दीपदर्शन सोसायटी से जुड़ा जमीन प्रकरण उठाते हुए वह पर्चा सदन में पेश किया, जिसमें गहलोत के पुत्र वैभव का नाम है, तब भी रघु शर्मा खुल कर सामने आए। सामने क्या आए, वे देवनानी यह कहते हुए माफी मांगने पर अड़ गए कि जिस पर्चे पर पे्रस का नाम नहीं है, उसकी सच्चाई का आधार है। उन्होंने यह मांग तक की कि जो व्यक्ति सदन में नहीं है और अपना जवाब देने नहीं आ सकता, उस का नाम उछालने से देवनानी को रोका जाए। विधानसभा में हुए इस वाकये तो यह लगभग साफ हो गया कि इस बार उनका मिजाज बदला हुआ है। ऐसे में यही कयास लगाया जा रहा है कि कहीं मंत्रीमंडल की अगली रिशफलिंग में उनका नंबर तो नहीं है। वैसे भी गहलोत मंत्रीमंडल में ऐसे अनेक सदस्य हैं, जो जुबान फिसलने के कारण कई बार संकट पैदा कर चुके हैं और उनकी छुट्टी होने के कयास लगाए जा रहे हैं। कम से कम रघु शर्मा ऐसा तो नहीं करेंगे।

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