बुधवार, 9 फ़रवरी 2011

इंदिराजी की रसोई बनाते-बनाते प्रतिभा पाटील राष्ट्रपति बनीं ...तो आपने किसके यहां कौन सी सेवा-चाकरी की अमीन साहब !

राजस्थान के पंचायतीराज व वक्फ राज्य मंत्री जनाब अमीन खां साहब ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को राजनीति में आगे बढऩे और एमएलए-एमपी बनने का गुर सिखाते हुए उदाहरण दिया है कि राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटील आपातकाल के दौरान भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीया श्रीमती इंदिरा गांधी के घर में रसोई बनाया करती थीं, इसी वफादारी का इनाम देने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी ने उन्हें राष्ट्रपति बनवा दिया। उन्होंने कार्यकर्ताओं को सिखाया कि आप भी श्रीमती पाटील की तरह नि:स्वार्थ भाव से सेवा करते रहें, देर से ही सही, कभी न कभी आपके पास फोन आ जाएगा कि आपको एमएलए या एमपी का चुनाव लडऩा है। अमीन खां ने पाली जिले के मानपुरा भाखरी स्थित जबदंबा माता मंदिर में जिला कांग्रेस की बैठक में यह सीख तब दी, जब कार्यकर्ताओं ने शिकायत की कि आलाकमान व कुछ पदाधिकारी उन्हें तवज्जो नहीं देते। उन्होंने यह तो नहीं सिखाया कि पार्टी के बैनर पर जनता की सेवा करते रहें, एक दिन जरूर उन्हें भी तवज्जो मिलेगी, बल्कि ये सिखाया कि चमचागिरी करते रहें, कभी तो लहर आएगी।
अगर राजनीति में आगे बढऩे का यही मूलमंत्र है तो सवाल ये उठता है कि अमीन साहब मंत्री पद तक कैसे पहुंचे हैं? क्या उन्होंने भी किसी बड़े नेता के घर सेवा-चाकरी की है? और की है तो कौन सी सेवा की है?
अमीन साहब ने एक ओर जहां गरिमापूर्ण राष्ट्रपति पद पर टिप्पणी करके मर्यादा की सारी सीमाएं लांघ दी हैं, वहीं उस पद पर बैठीं श्रीमती पाटील की राजनीतिक यात्रा की पोल भी खोल दी है। गर ये सच भी है कि श्रीमती पाटील स्वर्गीया इंदिरा गांधी के यहां रसोई के काम में हाथ बंटाती थीं तो इसका ये मतलब कैसे निकाला जा सकता है कि वे उनके यहां रसोइये का काम करती थीं या चमचागिरी करने के लिए रसोई बनाती थीं। सवाल ये भी है कि क्या उन्होंने अमीन साहब की तरह यह जानते हुए सेवा की थी कि आगे जा कर ऊंचा पद मिलेगा और इसी कारण रसोई बनाती थीं?
अमीन साहब ने ऐसा बड़बोलपन करके न केवल राजनीतिक मर्यादाओं को ताक पर रख दिया है, अपितु राष्ट्रपति श्रीमती पाटील की योग्यता पर भी प्रश्न चिन्ह लगा दिया है। उनके उदाहरण से तो ऐसा प्रतीत होता है कि श्रीमती पाटील में राजनीतिक योग्यता नाम की कोई चीज नहीं है, बल्कि वे केवल चाटुकारिता करते हुए ही इस पद पर पहुंची हैं। उदाहरण भले ही श्रीमती पाटील का दिया हो, मगर ऐसा कह कर उन्होंने राजनीतिक सफलता का नया फंडा ही स्थापित कर दिया है। साथ ही अन्य राजनेताओं की सफलता व योग्यता पर भी सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। जाहिर है जब वे कार्यकर्ताओं को राजनीति में आगे बढऩे के लिए यह गुर सिखा रहे हैं तो इसे उन्होंने श्रीमती पाटील से प्रेरणा लेकर खुद पर भी आजमाया होगा और उसी की बदौलत आज मंत्री पद पर हैं। होना तो यह चाहिए था कि वे कार्यकर्ताओं को वे अपने मंत्री बनने का राज भी बताते कि वे किस-किस की चाकरी करके आज इस मुकाम पर पहुंचे हैं। उन्होंने नहीं भी बताया है, तब भी यह तथ्य खुद-ब-खुद स्थापित हो गया है कि वे मंत्री पद तक कैसे पहुंचे हैं।
-गिरधर तेजवानी

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