गुरुवार, 3 फ़रवरी 2011

दिये हुए संभलते नहीं, नए विभाग मिलने की बात करते हैं भरत सिंह

महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के नाम की दुहाई दे कर सत्ता के विकेन्द्रीकरण और ग्राम स्वराज के नारे देने वाली प्रदेश की कांग्रेस सरकार से एक ओर तो पंचायतीराज को दिए गए पांच विभाग तो संभलते नहीं, दूसरी ओर उनके पंचायतीराज मंत्री भरतसिंह पंचायतीराज को और विभाग मिलने की बात करने लगे हैं। ऐसा लगता है कि विवाद खड़े करना और विरोधाभासी बयान जारी करना उनकी आदत में शुमार है। सोमवार को जब वे अजमेर में अपने विभाग की संभागीय बैठक में भाग लेने आए, तो उन्हें फिर से जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों के बीच अधिकारों को लेकर चल रही खींचतान का सामना करना पड़ा। जनप्रतिनिधियों ने शिकायत की कि अधिकारी उनका कहा नहीं मानते और अधिकारियों ने सवाल खड़ा किया कि वे सरकार की मानें या जनप्रतिनिधियों की। इसके बावजूद वे यह कह गए कि व्यवस्थाएं ठीक चलती रहीं तो पंचायतीराज को और विभाग दिए जाएंगे।
असल में वस्तुस्थिति ये है कि पंचायतीराज को लेकर खुद सरकार के ही दो मंत्री आपस में एकमत नहीं हैं। जनप्रतिनिधियों और सीईओ के बीच अधिकारों को लेकर बनी मंत्रीमंडलीय समिति ने अपनी रिपोर्ट अभी दी ही नहीं है, इसके बावजूद पिछले दिनों शिक्षामंत्री मास्टर भंवरलाल व पंचायती राज मंत्री भरत सिंह परस्पर विरोधी बयान दे गए। मास्टर भंवरलाल ने अजमेर में शिक्षा विभाग की संभागीय बैठक में अधिकारियों को उनके अधिकारों के प्रति उकसाते हुए साफ तौर पर कहा कि वे जनप्रतिनिधियों से घबराएं नहीं और केवल उन्हें बताए नियमानुसार ही काम करें। पंचायतीराज के जनप्रतिनिधि सरकार की ओर से तय सीमा तक ही अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर सकते हैं। अजमेर के संदर्भ में बात करे तों उन्होंने साफ तौर पर शिल्पा को शह देते हुए कहा कि वे किसी के दबाव में न आएं और वही करें, जो कि नियमानुसार सही हो। दूसरी ओर पंचायतराज मंत्री भरतसिंह ने यह कह कर जनप्रतिनिधियों की पैरवी की कि जिला प्रमख के नेतृत्व में बनी स्थाई समिति को असीमित अधिकार हैं और उसके निर्णयों को अमल में लाना अधिकारियों की जिम्मेदारी है। उन्होंने यह भी खुले रूप में स्वीकार किया कि संभाग स्तर पर जिन जिला परिषदों में आईएएस अधिकारियों को मुख्य कार्यकारी अधिकारी बनाया गया है, वहां सबसे ज्यादा परेशानियां बढ़ी हैं। इससे बड़ी क्या विडंबना होगी कि सरकार के ही दो मंत्री दोनों पक्षों के बीच टकराव की नौबत ला दी। भरत सिंह की बयानबाजी पर तो बाकायदा विवाद भी हो गया। जिला सरपंच संघ के अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह ने न केवल उनके बयान का विरोध किया, अपितु मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के फैसलों पर अगूंली न उठाने का आग्रह करते हुए एक अर्थ में सीधे गहलोत से ही भिड़ा दिया था।
बहरहाल, दो मंत्रियों के इस प्रकार आमने-सामने और धरातल पर भी अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों के बीच नहीं थम रहे टकराव इसी से स्पष्ट हो गया था कि सरकार ने बिना सोचे-समझे जिला परिषदों में आईएएस को सीईओ बनाने का निर्णय किया। एक ओर उसने पंचायतीराज संस्थाओं को मजबूत करने के मकसद से उनके अधीन पांच महकमे किए और साथ ही जनप्रतिनिधि निरंकुश न हो जाएं, इसके लिए संभाग मुख्यालयों की जिला परिषदों में आईएएस अधिकारी बैठा दिए। इससे टकराव की नौबत आ गई। वस्तुत: उसने एक प्रयोग किया और वह फेल हो गया। जनप्रतिनिधियों व आईएएस में टकराव हुआ और अब सरकार परेशान है कि आखिर इसका तोड़ क्या निकाला जाए। ऐसे में भरतसिंह का यह बयान कितना हास्यास्पद है कि पंचायतीराज को और विभाग दिए जाएंगे।

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