गुरुवार, 10 मार्च 2011

आरक्षण के मुद्दे ने कर दिया बोर्ड कर्मचारी संघ बंटाधार


पदोन्नति में आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट की ओर से अवैध ठहराये जाने के बाद समता मंच के आंदोलन के चलते राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के कर्मचारियों की समरसता भंग हो गई है। कर्मचारी बाकायदा दो गुटों में बंट गए हैं और मुकदमेबाजी भी हो गई है। ऐसे में बोर्ड कर्मचारी संघ में भी जबरदस्त खींचतान शुरू हो गई है। एक गुट ने तो बाकायदा नए चुनाव कराने की मांग कर डाली है।
दरअसल समता मंच की मांग के अनुरूप भारी दबाव में बोर्ड प्रबंधन ने पदावनत कर्मचारियों को उनके पुराने पदों पर भेज तो दिया, लेकिन इसी बीच अनुसूचित जाति के सहायक निदेशक छगनलाल व सवर्ण कर्मचारियों के बीच हुई नोंकझोंक मुकदमेबाजी तक पहुंच गई। छगनलाल ने जहां एससी एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज करवाया, वहीं सवर्ण वर्ग के कर्मचारी नेता कैलाश खंडेलवाल ने भी छगनलाल के खिलाफ रास्ता रोक कर मारपीट का मुकदमा दर्ज करवा दिया। हालांकि बोर्ड प्रबंधन शुरू से ही चाहता था कि बोर्ड कर्मचारी संघ को मध्यस्थ बनाया जाए, लेकिन समता मंच के कर्मचारी इस कारण तैयार नहीं हुए कि एक तो उनके अनुसार कर्मचारी संघ बोर्ड अध्यक्ष की गोदी में बैठा हुआ था और दूसरा उसके अध्यक्ष सतीश जाटव अनुसूचित जाति वर्ग से हैं। मंच को उम्मीद ही नहीं थी कि कर्मचारी संघ न्यायोचित भूमिका अदा करेगा। ऐसे हालात में कर्मचारी संघ ने भी तटस्थ रहना ही उचित समझा। जाटव अनुसूचित जाति वर्ग के होने के बाद भी सभी वर्गों के सहयोग से अध्यक्ष बने थे, इस कारण उनके सामने भी धर्मसंकट था। अगर वे अनुसूचित जाति वर्ग का पक्ष लेते तो सामान्य वर्ग नाराज हो जाता और सामान्य वर्ग का पक्ष लेते तो अपने वर्ग को नाराज कर बैठते। उनकी तटस्थता समता मंच को बुरी लग गई। उनकी शिकायत है कि सहायक निदेशक छगनलाल ने झूठा मुकदमा दर्ज करवाया है, लेकिन संघ खामोश बना हुआ है। वह कर्मचारियों की कोई मदद नहीं कर रहा है। सवाल ये उठता है कि जब बोर्ड प्रबंधन अनुरोध कर रहा था कि कर्मचारी संघ को मध्यस्थ बनाना ठीक रहेगा तो कर्मचारियों ने उसे सिरे से क्यों ठुकरा दिया? ऐसे में वे अब कैसे उम्मीद कर रहे हैं कि वह उनकी मदद करे? इस लिहाज से हालांकि संघ की चुप्पी जायज प्रतीत होती है, लेकिन अब जब कि बोर्ड के कर्मचारी दो गुटों में बंट गए हैं व बड़ा गुट संघ के खिलाफ हो गया है, तो मौजूदा कार्यकारिणी संकट में आ गई है। बोर्ड कर्मचारी संघ में करीब 400 वोटर हैं, जबकि 228 कर्मचारियों ने नए चुनाव कराने के ज्ञापन पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। अर्थात नई गुटबाजी के बाद बड़ा गुट संघ पर कब्जा करना चाहता है। देखते हैं अब क्या होता है? बहरहाल, कर्मचारी संघ का जो कुछ भी हो, मगर ताजा विवाद से बोर्ड का माहौल तो खराब हुआ ही है।

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